प्राचार्य की कलम से… मानव जाति की उत्पत्ति से अब तक की विकास यात्रा में शिक्षा की भूमिका नि:संदेह अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। इस यात्रा में उच्च शिक्षा की भूमिका हमारी जीवन-शैली को उन्नत करने में सबसे अधिक रही है। उच्च शिक्षा में शोध पर विशेष बल देने का सुखद परिणाम आज स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है। सभ्यता के आरंभिक चरणों में वनों-कंदराओं में भटकने वाला मनुष्य आज घर बैठे उंगलियाँ घुमाकर उपग्रह की गति तक को नियंत्रित कर रहा है। डोरंडा महाविद्यालय, रांची, महान प्राचीन भारतीय ज्ञान संपदा की नवोन्मेषशालिनी प्रज्ञा और अधुनातन शोघ प्रवृत्ति को उच्च शिक्षा में समाहित कर छात्रों को गढ़ने के लिए प्रतिबद्ध रहा है। मुझे यह कहते अपार हर्ष हो रहा है कि हमारा महाविद्यालय परिवार इस दिशा में समर्पित होकर निरंतर भविष्य की दिशा और दशा तय करने में जुटा हुआ है। डोरंडा महाविद्यालय की एक गौरवमयी विकास यात्रा है। इस संस्थान ने लगभग 62 वर्ष पूरे कर लिए हैं। यहां से शिक्षण-प्रशिक्षण लेने वाले लाखों छात्रों ने देश को गढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्तमान में इस महाविद्यालय में लगभग 15000 विद्यार्थी विभिन्न प्रकार के पारंपरिक और व्यावसायिक पाठ्यक्रम में अध्यनरत हैं। महाविद्यालय की दृढ़ आधारभूत संरचना और विद्वान शिक्षकों का अद्भुत समन्वय हमारे विद्यार्थियों के व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा हैं। स्मार्ट क्लासरूम , हजारों दुर्लभ पुस्तकों से भरा पुस्तकालय, विशाल प्रेक्षागृह,अधुनातन प्रयोगशाला इत्यादि यहां के विद्यार्थियों को कौशल और उत्कृष्ट नागरिक बनाने में विशेष योगदान देते हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल विकास पर विशेष घ्यान देने का सुखद परिणाम है कि यहां विद्यार्थियों को रोजगार (प्लेसमेंट) की अच्छी सुविधा प्राप्त है। यह महाविद्यालय अपने विद्यार्थियों के व्यक्तित्व को तराशने की हर संभव सुविधा उपलब्ध कराता है। इसी कारण डोरंडा महाविद्यालय अब तक हजारों की संख्या में समाज को डॉक्टर, इंजीनियर, खिलाड़ी, प्रशासक, शिक्षक, राजनीतिज्ञ एवं सफल उद्यमी देता आया है। यह संस्था युवा पीढ़ी में मौलिक सोच, राष्ट्रीयता का भाव तथा ज्ञान की विपुलता भरने के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में निरंतर अग्रसर है। उच्च शिक्षा का मूल उद्देश्य उत्कृष्ट मानवीय चेतना को ऐसा वृहद आयाम देना है जो सृष्टि की संपूर्ण गुत्थियों को सहज और बोधगम्य बना दे। डोरंडा महाविद्यालय इसी भाव को अंगीकार कर भारत भूमि को संपूर्ण चेतना संपन्न राष्ट्र बनाने के लिए कृत संकल्प है। Higher education broadly aims at attaining the culmination of human consciousness that may unfold the subtle and intricate design of creation.
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